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Acid,base and Salt pdf , Aml , kshar aur lvn

 

अम्ल, भस्म तथा लवण (Acid , Base and Salt )

अम्ल (Acid )

  • अम्ल स्वाद में प्राय खट्टा होता है |
  • अम्ल जलीय विलयन में H+ आयन प्रदान करता हैं|
  • अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल रंग में बदल देता हैं|
  • उदाहरण – HCl , H2SO4 , HNO3 , CH3COOH

क्षारक (Base) 

  • क्षार प्राय स्वाद में कड़वा होता है |
  • यह जलीय विलयन में OH आयन प्रदान करता हैं |
  • यह लाल लिटमस पत्र को नीले रंग में बदल देता हैं |
  • उदाहरण – NaOH , KOH , Ca(OH)2 , NH4OH

लवण (Salt)

लवण अम्ल व् क्षारक की परस्पर अभिक्रिया से प्राप्त होता हैं |

उदाहरण : NaCl , KCl

सूचक (Indicator) :

वे पदार्थ जो अपने रंग में परिवर्तन कर दूसरे पदार्थों के साथ अम्लीय या क्षारीय व्यवहार करते हैं उन्हें सूचक कहते हैं

सूचक के प्रकार :

वैसे तो सूचक बहुत प्रकार के होते हैं परन्तु इनके सामान्य प्रकार इस प्रकार हैं :

(1) प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator ) :

वे सूचक जो प्राकृतिक स्रोतों से  प्राप्त होते हैं प्राकृतिक सूचक कहलाते हैं , जैसे – लिटमस ,हल्दी ,चाइना रोज ,लाल गोभी आदि |

लिटमस : लिटमस विलयन बैगनी रंग का रंजक होता हैं जो थैलोंफाईटा  समूह के लिचेन (Lichen ) के पौधे से निकाला जाता हैं लिटमस विलयन जब n तो अम्लीय होता हैं न ही क्षारकीय , तब यह बैगनी रंग होता हैं |

लिटमस पत्र : लिटमस पत्र दो रंगों का होता हैं  नीला और लाल

अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता हैं जब कि क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता हैं |

हल्दी : हल्दी भी एक अन्य प्रकार का प्राकृतिक सूचक हैं यह पीला रंग का होता हैं , कई बार आपने देखा होगा जब किसी सफ़ेद कपरो (Cloth )  पर सब्जी का दाग लग जाता हैं जब इसे साबुन (क्षारीय प्रकृति ) से धोते हैं तो यह दाग के धब्बे को भूरा – लाल कर देता हैं

  • अम्ल के साथ हल्दी के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं |
  • क्षारक के साथ इसका रंग भूरा – लाल हो जाता हैं

(2 ) संश्लेषित सूचक (Synthetic Indicators )  :

ये वे सूचक हैं जो प्राकृतिक नहीं होते बल्कि ये रासायनिक पदार्थों द्वारा बनाये गये होते हैं | जैसे – मैथिल ऑरेंज और फिनोल्फ्थेलीनआदि | इनका उपयोग अम्ल और क्षारक की जाँच के लिए होता हैं |

(3 ) गंधीय सूचक (Olfactory Indicator) :

कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारीय माध्यम में बदल जाती हैं | ऐसे पदार्थों को गंधीय सूचक कहते हैं |जैसे – वैनिला , प्याज और लौंग आदि |

(4) सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator):

सार्वत्रिक सूचक अनेक सूचकों का मिश्रण होता हैं | लिटमस ,मैथिल ऑरेंज और फिनोल्फ्थेलीनआदि जैसे उपयोग से किसी विलयन में केवल अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का ही पता लगाया जा सकता हैं परन्तु इस सार्वत्रिक सूचक के प्रयोग से अम्ल या क्षारक की प्रकृति के साथ साथ उनकी प्रबलता की माप का माप भी बताता हैं

अम्ल की धातु से अभिक्रिया (Reaction with acids and Metals) :

अम्ल धातु से अभिक्रिया कर संगत धातु की लवण और हाइड्रोजन गैस प्रदान करता हैं |

अम्ल + धातु  →  लवण   +  हाइड्रोजन

जिंक के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से जिंक क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनता हैं |

HCl       +   Zn    →        ZnCl2     +       H2

सोडियम के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से सोडियम क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनता हैं |

   2HCl    +    2Na      →    2NaCl + H2

धातु जिंक की सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया से जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस का निर्माण होता हैं |

H2SO4     +     Zn     →   ZnSO        +       H2

सल्फ्यूरिक अम्ल    जिंक            जिंक सल्फेट        हाइड्रोजन गैस

 page 21  Fig 2.1 

धातु कार्बोनेट / धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ अम्ल की अभिक्रिया (Reaction of Metals Carbonate / Metal Hydrogen Carbonate with Acids) :

चूना , चाक और संगमरमर कैल्सियम कार्बोनेट के विभिन्न रूप हैं | सभी धातु कार्बोनेट और हाइड्रोजन कार्बोनेट अम्ल के साथ अभिक्रिया कर संगत लवण  ,कार्बन डाइआक्साइड  और जल प्रदान करता हैं |

इस अभिक्रिया का सामान्य रूप इस प्रकार हैं |

धातु कार्बोनेट  +  अम्ल   →   लवण    +   कार्बन डाइआक्साइड     +   जल

जैसे :  कैल्सियम कार्बोनेट , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर कैल्सियम क्लोराइड , और जल प्रदान करता हैं

CaCO3       +                           2HCl             →     CaCl      +        CO      +               H2O

कैल्सियम कार्बोनेट        हाइड्रोक्लोरिक अम्ल      कैल्सियम क्लोराइड      कार्बन डाइआक्साइड    जल

नाइट्रिक अम्ल , सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कर सोडियम नाइट्रेट , कार्बन डाइआक्साइड   और जल बनाता हैं |

2NHO3 + Na2CO3  →   NaNO +   CO2 +   2H2O

इसी प्रकार से ये निम्न अभिक्रिया भी पूरा होगा ;

सोडियम कार्बोनेट     +      हाइड्रोक्लोरिक अम्ल      →     सोडियम क्लोराइड     +      कार्बन डाइआक्साइड     +     जल

कैल्सियम कार्बोनेट +  सल्फ्यूरिक अम्ल    →    कैल्सियम   सल्फेट +  कार्बन डाइआक्साइड   +     जल

धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट और अम्ल की अभिक्रिया (Reaction of Metal Hydrogen Carbonate with Acids )  :

सामान्य सूत्र ;

धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट (बाईकार्बोनेट ) + अम्ल  →  लवण +  कार्बन डाइआक्साइड   +     जल

उदाहरण :

सोडियम बाईकार्बोनेट , हाइड्रोजन क्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड , कार्बन डाइआक्साइड   और जल बनाता हैं |

NaHCO3(s)       +    2HCl (aq)     →    NaCl  (aq)   +    CO2 (g)  +  H2O (liq)

धातु एवम् क्षारक की अभिक्रिया ( Reaction with bases and Acids )  :

क्षारक धातुओं से अभिक्रिया कर संगत धातु का लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं |

सोडियम हाइड्रोआक्साइड जिंक के साथ अभिक्रिया कर सोडियम जिन्केट और हाइड्रोजन गैस देता हैं |

2NaOH (aq)         +            Zn (s)      →     Na2ZnO2 (aq)     +    H2 (g)

सोडियम हाइड्रोआक्साइड        जिंक          सोडियम जिन्केट        हाइड्रोजन

अम्ल और क्षारक की अभिक्रिया ( Reaction With Acids and Bases) :

उदासीनीकरण अभिक्रिया (Neutralisation Reaction ) :

अम्ल और क्षारक की आपसी अभिक्रिया से लवण और जल का निर्माण होता हैं ,  इस प्रकार की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं |

उदासीनीकरण अभिक्रिया को सामान्य सूत्र में इस प्रकार से लिखा जाता हैं ;

क्षारक   +  अम्ल        →       लवण   +    जल

सोडियम हाइड्रोआक्साइड  , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर  साधारण नमक और जल बनाता हैं |

NaOH (aq)  +  HCl (aq)        →      NaCl (aq)  +   H2O (l)

धातु – आक्साइड का अम्ल के साथ अभिक्रिया (Reaction of Metal- oxides with Acids) :

सभी धातु – आक्साइड  क्षारकीय प्रकृति के होते हैं इसलिए ये अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण और जल बनाती है यह बिल्कुल उदासीनीकरण अभिक्रिया की तरह ही होती हैं |

कॉपर आक्साइड , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर कॉपर क्लोराइड और जल प्रदान करता हैं |

 CuO           +           2HCl         →      CuCl2  +  H2O

कैल्सियम आक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया कर  कैल्सियम क्लोराइड और जल प्रदान करता हैं |

CaO (aq)   +   2HCl (aq)      →    CaCl2 (aq)   +    H2O (l)

क्षारक और अधातु आक्साइड का अभिक्रिया  :

अधातुओं की प्रकृति अम्लीय होती हैं,  जो क्षारक से अभिक्रिया कर लवण और जल बनाता हैं , यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया के सामान ही होती हैं

क्षारक    +   अधात्विक आक्साइड     →     लवण    +     जल

सोडियम हाइड्रो आक्साइड , कार्बनडाइआक्साइड से अभिक्रिया कर सोडियम कार्बोनेट और जल देता हैं |

2NaOH (aq) + CO2 (g)  → Na2CO3 (s)  + H2O (l)

लवण  (Salts) :

लवण : लवण अम्ल और क्षारक के उदासीनीकरण  अभिक्रिया का आयनिक उत्पाद है |

(1) अम्लीय लवण  (Acidic Salt ) : अम्लीय लवण प्रवल  अम्ल और दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता हैं |

अम्लीय लवण : NH4Cl

HCl         +          NH4OH    →    NH4Cl   +     H2O

प्रवल अम्ल           दुर्बल क्षारक        अम्लीय लवण

(2) उदासीन लवण : उदासीन लवण प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक के आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता हैं |

उदासीन लवण (Neutral Salt)  :   NaCl

HCl       +     NaOH    →       NaCl            +     H2O

प्रवल अम्ल    दुर्बल क्षारक         उदासीन लवण

(3) क्षारकीय लवण  :  क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक और दुर्बल अम्ल की आपसी अभिक्रिया से प्राप्त होता हैं |

क्षारकीय लवण (Basic Salt)  : NaC2H3O2

HC2H3O    +    NaOH      →    NaC2H3O  +   H2O

दुर्बल अम्ल    प्रबल क्षारक                क्षारकीय लवण

तनुकरण (Dilution) :

जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर आयन की सांद्रता (H3O+ / OH-) में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती हैं | इस प्रक्रिया तो तनुकरण कहते हैं | अम्ल और क्षारक को तनुकृत किया जाता हैं |

PH स्केल :

किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की आयन की  सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित किया गया हैं जिसे PH स्केल कहते हैं |

इस स्केल में 1 से 14 तक अंक अंकित रहता हैं जो किसी अम्ल या क्षारक की प्रबलता और दुर्बलता के साथ साथ उनके मान की बताया हैं |

यह एक प्रकार का सार्वत्रिक सूचक हैं |

page 28 fig 2.6

हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जितनी अधिक होगी उसका PH उतना ही कम होगा |

किसी भी उदासीन विलयन के PH का मान 7 होता हैं |

अम्लीय विलयन pH का मान 7 से अधिक होता हैं |

  • यदि PH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है तो यह अम्लीय होगा | और यदि PH मान 7 से 14 तक बढ़ता हैं तो वह विलयन में OH की सांद्रता में वृद्धि को दर्शाता है ,अर्थात यहाँ क्षार की शक्ति बढ़ रही हैं |

प्रबल अम्ल :  जिस विलयन में अधिक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं |

दुर्बल अम्ल : जबकि कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले  अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं |

प्रबल क्षारक : जिस विलयन में OH- आयन अधिक संख्या में होते हैं उसे प्रबल क्षारक कहते हैं |

दुर्बल क्षारक :  जिस विलयन में OH- संख्या कम होते हैं उसे दुर्बल क्षारक कहते हैं |

दैनिक जीवन में pH का महत्व :

(1 ) हमारा शरीर :  हमारा शरीर 7.0 से 7.8  pH परास के बीच कार्य करता हैं | जीवित केवल संकीर्ण pH परास (परिसर ) range में ही जीवित रह सकते हैं | वर्षा के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जाती हैं तो वह अम्लीय कहलाती हैं |

अम्लीय वर्षा के हानियाँ :  अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता हैं तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता हैं |ऐसी नदी में जलीय जीव धारियां की उत्तरजीविता कठिन हो जाती हैं |

(2) मिटटी की अम्लीयता :  कई बार किन्ही कारणों से अथवा अम्लीय वर्षा के कारन मिटटी का pH मान कम हो जाने से इस भूमी से अच्छी उपज नहीं मिलती हैं , चुकी अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH परास की आवश्यकता होती हैं |मिटटी में अम्लीय गुण बढ़ जाने से पौधों को नुकसान पहुँचाता हैं , जिससे फसल अच्छी नहीं होती हैं |

मिटटी के pH परास को ठीक करने के उपाय :  मिटटी के अम्लीयता खत्म करने के लिए मिटटी में चाकपाउडर या चूना मिलाया जाता हैं ताकि इसकी अम्लीयता खत्म करके मिटटी की प्रकृति क्षारकीय बन बन जाय |

(3 ) अम्लीय माध्यम में भोजन का पचना :  pH का महत्व हमारे अमाशय से उत्पन्न हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से भी हैं यह भी एक विशिष्ट pH पर उदर (पेट ) को बिना हानि पहुंचाए भोजन के पाचन में सहायता करता हैं | सामान्यत : हमारा उदर का pH परास लगभग 1.5 – 3.5 के बीच कार्य करता हैं |इनमें भी ये निम्न दो स्थितिया होती हैं

(a ) अल्प अम्लता (Hypoacidity) : कुछ व्यक्तियों में HCl का स्राव बहुत कम होता हैं जिससे उनके भोजन नहीं पचता अथवा कम पचता हैं | ऐसी अवस्था को अल्प – अम्लता (अपच ) कहते हैं |ऐसे व्यक्ति को अपने भोजन के साथ अम्लीय पदार्थ जैसे निम्बू या या सिरका लेना परता हैं , अथवा पाचक – रस उत्पन्न करने वाली औषधियां लेना परता हैं |

(b) अति – अम्लता (Hyperacidity) : उदर में अत्यधिक अम्ल उत्पन्न होने की स्थिति में व्यक्ति उदर में दर्द और जलन का अनुभव करता हैं |इस दर्द या जलन से मुक्त होने के लिए एंटासिड (antacid) लेना परता हैं |

Antacid (प्रति – अम्ल औषधि ) ऐन्टैसिड अम्ल के प्रभाव को कम करने वाले दुर्बल क्षारक होते हैं | जैसे – मिल्क – आफ मैगनेशिया (मैगनेशियम हाइड्रोक्साइड ) , एल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड जैसे दुर्बल क्षारक ऐनटासिड के संघटक में शामिल होते हैं | ये अम्ल प्रभाव को उदासीन कर देता हैं |

(4) दन्त – क्षय (Tooth – caries /tooth – decay)  : समान्यत : मूहं का pH 5.5 रहता हैं |यदि इसका मान 5.5 से कम हो जाय तो दंत – क्षय प्रारम्भ  हो जाता हैं | दांतों का इनैमल (द्त्त्वल्क ) कैल्सियम फास्फेट का बना होता है जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ हैं | यह दांतों की बाहर से बचाव करता हैं |जब मुँह का pH 5.5 से कम हो जाता है तो यह धीरे धीरे संक्षारित होने लगता हैं |

मुँह का pH कम होने का कारण :  जब हम भोजन या कोई मीठी चीज खाते हैं तो भोजन के पश्चात मुँह में अवशिष्ट शर्करा या खाद्य पदार्थ रह जाते हैं जिस पर मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया उसका निम्नीकरण करते हैं और उससे अम्ल उत्पन्न करते हैं |यह अम्ल इनेमल को नष्ट कर देता हैं ,जो दंत -क्षय का प्रमुख कारण बनता हैं

दंत – क्षय से बचाव( Protection from Tooth – Decay)  : भोजन के बाद मुँह साफ़ करने से इसके बचाव किया जा सकता हैं | मुँह की सफाई के लिए क्षारकीय , दंत -मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन किया जा सकता हैं जिसके परिणाम स्वरूप दंत – क्षय को रोका जा सकता हैं |

page 31 Table 2.3

क्लोर – क्षार प्रक्रिया (Chlor – Alkali Process) : जब सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक ) के जलीय विलयन से विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती हैं तो यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रोक्साइड , क्लोरिन गैस और हाइड्रोजन गैस प्रदान करता हैं |इस प्रक्रिया को क्लोर – क्षार प्रक्रिया कहते हैं |

इस प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्न हैं

2NaCl (aq) +      2H2O (l)      →      2NaOH (aq)  +  Cl2 (g)  +  H2(g)

सोडियम क्लोराइड का विद्युत् अपघटन :

जब सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन से विद्युत् प्रवाहित की जाती है तो इसके एनोड से क्लोरीन गैस और कैथोड से हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता हैं |सोडियम हाइड्रोक्साइड विलयन इसके कैथोड के पास बनता हैं |

क्लोर – क्षार प्रक्रिया के उत्पाद (Products of Chlor – alkali Process) :

(1) सोडियम हाइड्रोक्साइड Sodium Hydroxide

(2) क्लोरीन गैस Chlorine Gas

(3) हाइड्रोजन गैस Hydrogen Gas

page 33  fig 2.8

सोडियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग (Uses of Sodium Hydroxide)  :

  • इसका उपयोग धातुओं से ग्रीज हटाने के लिए किया जाता हैं
  • साबुन और अपमार्जक बनाने में किया जाता हैं
  • इसका उपयोग कागज बनाने में भी किया जाता हैं
  • और इसका उपयोग कृत्रिम फाइबर बनाने में किया जाता हैं

क्लोरीन गैस का उपयोग :

  • क्लोरीन गैस का उपयोग जल की स्वच्छता के लिए किया जाता हैं
  • स्विमिंग पुल में
  • PVC , CFCs और कीटाणु नाशक बनाने में भी किया जाता हैं

हाइड्रोजन गैस का उपयोग :

  • इसका उपयोग ईंधन के लिए किया जाता हैं
  • इसका उपयोग मार्गरीन बनाने के लिए किया जाता हैं
  • और इसका उपयोग खाद के लिए अमोनिया बनाने के लिया किया जाता हैं

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन (Production of Hydrochloric acid):

क्लोरीन और हाइड्रोजन क्लोर – क्षार प्रक्रिया के महत्वपूर्ण उत्पादन हैं , जिनका उपयोग हाइड्रो क्लोरिक अम्ल के उत्पादन में किया जाता हैं | हाइड्रो क्लोरिक अम्ल एक महत्वपूर्ण रसायन हैं जिसका उपयोग निम्न पदार्थों के उत्पादन में किया जाता हैं –

  • दवाइयाँ का निर्माण में
  • अमोनियम क्लोराइड के निर्माण
  • इस्पात के सफाई के लिए प्रयोग होता हैं |

विरंजक चूर्ण का उत्पादन (Production of Bleaching Powder) :

क्लोर क्षार प्रक्रिया से प्राप्त क्लोरीन और सूखे बुझे हुए चूने की क्रिया से विरंजक चूर्ण का निर्माण होता हैं |

इस प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्नलिखित हैं :

Ca(OH)2 + Cl   →       CaOCl2 + H2O

विरंजक चूर्ण का उपयोग (Used of Bleaching Powder) :

  • वस्त्र – उद्योग में सूती और लिनेन के विरंजन के कागज की फैक्ट्री में लकरी (wood ) के मज्जा और लाउन्द्री में साफ़ कपरो के विरंजन के लिए
  • कई रासायनिक उद्योग में एक उपचायक के रूप में और
  • पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए रोगाणु नाशक के रूप में

बेकिंग सोडा का उत्पादन (Production of Baking Soda) :

इस यौगिक का रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3) हैं  | कच्चे पदार्थों में सोडियम क्लोराइड का उपयोग कर इसका निर्माण किया जाता हैं |

इसका रासायनिक समीकरण निम्न हैं

NaCl + H2O + CO2 + NH3  →    NH4Cl + NaHCO3

बेकिंग सोडा का उपयोग (Used of Baking Soda ) :

  • सोडा का उपयोग आमतौर पर रसोईघर में स्वादिष्ट खस्ता पकौरे बनाने के लिए किया जाता हैं |
  • कभी – कभी इसका उपयोग खाने को शीघ्रता से पकाने के लिए भी किया जाता हैं |
  • यह एक दुर्बल क्षारक भी हैं जिसका उपयोग कई बार अति – अम्लता की स्थिति में कि जाती हैं |यह ऐन्तासिद का संघटक भी हैं
  • इसका उपयोग सोडा – अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता हैं |
  • इसका उपयोग वाशिंग  पाउडर को बनाने में किया जाता हैं |
  • खाना पकाते समय जब इसे गर्म किया जाता हैं तो निम्न अभिक्रिया होती हैं |

2NaHCO3      →    Na2CO  +   H2O   +    CO2

बेकिंग पाउडर का निर्माण :

बेंकिंग सोडा और टार्टरिक अम्ल जैसा मंद खाद अम्ल के मिश्रण से बेंकिंग पाउडर का निर्माण होता हैं |

जब बेंकिंग पाउडर को जल में मिलाकर गर्म किया जाता हैं तो यह कार्बनडाईआक्साइड जल और अम्ल का सोडियम लवण प्रदान करता हैं जिसकी निम्न अभिक्रिया होती हैं

NaHCO3 + H  →   CO2 + H2O + अम्ल का सोडियम लवण

इस अभिक्रिया से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड के कारण पावरोटी या केक में खमीर उठ (फूल/उभर) जाता है तथा इससे यह मुलायम एवं स्पंजी हो जाता है। 

 

धोने का सोडा (Na2CO3.1OH2O):

बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जा सकता हैसोडियम कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा प्राप्त होता हैयह  एक क्षारकीय लवण है। 

Na2CO3 + 10H2O    →   Na2CO3 . 10H2

(सोडियम कार्बोनेट

धोने के सोडे के उपयोग :

(i) सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।

(ii) इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है

(iii) सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ़ सफ़ाई के लिए होता है

(iv) जल की स्थायी कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है। 

प्लास्टर ऑफ पेरिस : 

जिप्सम को 373 K पर गर्म करने पर यह जल के अणुओं का त्याग कर कैल्सियम सल्फ़ेट अर्धहाइड्रेट/ हेमिहाइड्रेट बनाता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस एक सफ़ेद चूर्ण है जो जल मिलाने पर यह पुनः जिप्सम बनकर कठोर ठोस पदार्थ प्रदान करता है। 

उपयोग : 

प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग डॉक्टर टूटी हुई हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए करते हैं

प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग खिलौना बनाने, सजावट का सामान एवं सतह को चिकना बनाने के लिए किया जाता है

 

 

 

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